इस्लाम में शिक्षा और उसका महत्व

इस्लाम में शिक्षा और उसका महत्व

  • Apr 14, 2020
  • Qurban Ali
  • Tuesday, 9:45 AM

ज्ञान प्राप्त करना इस्लाम के पवित्र कर्तव्यों में से एक है और यह हर मुस्लिम के लिए अनिवार्य है, चाहे वो मर्द हो या औरत। अल्लाह से हमारे प्रिय नबी मुहम्मद (सल्ललाहु अलैहि व सल्लम) पर पहला शब्द नाज़िल किया था वो 'इकरा' था जिसका अर्थ है ज्ञान प्राप्त करना। "(क्या उक्त व्यक्ति अच्छा है) या वह व्यक्ति जो रात की घड़ियों में सजदा करता है और खड़ा रहता है, आख़िरत से डरता है और अपने रब की दयालुता की आशा रखता हुआ विनयशीलता के साथ बन्दगी में लगा रहता है? कहो, "क्या वे लोग जो जानते हैं और वे लोग जो नहीं जानते दोनों समान होंगे? शिक्षा तो बुद्धि और समझवाले ही ग्रहण करते हैं।" (क़ुरान ३९:९) आधुनिक समय में आध्यात्मिक ज्ञान और अस्थायी दायित्वों को संतुलित करते हुए एक शैक्षिक प्रणाली का निर्माण करना सबसे बड़ी चुनौती है, क्योंकि आज की दुनिया में मुस्लिम के लिए खुद को आध्यात्मिक और नैतिक गिरावट से उबार पाना मुश्किल है। इस युग का कड़वा सच यह है कि वे उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बारे में ज्यादा जागरूक नहीं हैं। आज की पीढ़ी और आने वाली पीढ़ी इस्लाम के लिए मील के पत्थर हैं, इसलिए उन्हें ना केवल अपने दीन का बेहतर ज्ञान प्रदान किया जाना चाहिए, बल्कि उन्हें दुनिया के ज्ञान और इसके कई पहलुओं के बारे में अच्छी तरह से पता होना चाहिए। इसलिए दुनिया की कई धाराओं के बारे में एक मुसलमान को अच्छी तरह से शिक्षित होना चाहिए ताकि वे दुनिया में एक सम्मानजनक जीवन गुज़ार सकें। एक हदीस के अनुसार, पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि सल्लम) ज्ञान और शिक्षा के महत्व पर ज़ोर देते हैं। उन्होंने कहा, "वह जो ज्ञान प्राप्त करता है वह एक विशाल भाग प्राप्त करता है और यदि कोई व्यक्ति ज्ञान की खोज में अपने रास्ते पर चल रहा है, तो ईश्वर करेगा, जिससे उसके लिए स्वर्ग का रास्ता आसान हो जाएगा।" हमें अल्लाह से प्रार्थना करनी चाहिए कि वह हमें वो कार्य करने की शक्ति प्रदान करें जो हमारे जीवन के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए ज़रूरी हो और हमारे ज्ञान में वृद्धि करे। (रब्बी ज़िन्दनी इल्मा)

Share This: